School Holiday 6 July: भारत में इस्लामी नववर्ष की शुरुआत के मौके पर मनाया जाने वाला मुहर्रम इस बार 6 जुलाई 2025 को पड़ रहा है। सरकार ने 6 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश रखने की घोषणा की हैं। इस दिन पूरे देश में सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल-कॉलेज बंद रहेंगे, साथ ही बैंक और सरकारी दफ्तरों में भी छुट्टी रहेगी।
6 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश का ऐलान
मुहर्रम को पूरे भारत में एक सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त है, इसलिए 6 जुलाई को देशभर में छुट्टी रहेगी। इस अवसर पर स्कूल, कॉलेज, बैंक, डाकघर, सरकारी दफ्तर और कई निजी कार्यालय बंद रहेंगे। इस वजह से देशभर में कामकाज की रफ्तार पर असर पड़ता है और लोग इस दिन धार्मिक आयोजनों में शामिल होते हैं।
सरकारी दफ्तरों और बैंकों में भी छुट्टी रहेगी
स्कूलों के साथ-साथ कई राज्यों में सरकारी कार्यालयों और कॉलेजों को भी बंद रखने का आदेश दिया गया है। हालांकि यह निर्णय हर राज्य की परिस्थिति और स्थानीय प्रथाओं के आधार पर अलग-अलग हो सकता है। हालांकि डिजिटल सेवाएं जैसे एटीएम और ऑनलाइन बैंकिंग चालू रहेंगी, लेकिन काउंटर और सरकारी कार्यालयों में किसी तरह का कार्य नहीं होगा।
छात्रों की पढ़ाई पर पड़ेगा असर?
सवाल उठता है कि क्या इस सार्वजनिक अवकाश का छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा? देखा जाए तो हां, पर कई स्कूलों ने इसका उपाय भी खोज लिया है। कुछ स्कूल छुट्टियों के दौरान ऑनलाइन क्लासेज चलाकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनके सिलेबस में कोई रुकावट न आए।
अभिभावकों के लिए सलाह
अभिभावकों के लिए भी यह समय महत्वपूर्ण है। लंबी छुट्टियों में बच्चे अक्सर पढ़ाई से दूर हो जाते हैं, इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को किताबें पढ़ने, रचनात्मक गतिविधियों में शामिल होने और हल्का-फुल्का होमवर्क करने के लिए प्रेरित करें। इससे उनका शैक्षिक रूटीन बना रहेगा और उन्हें परिवार के साथ अच्छा समय बिताने का मौका भी मिलेगा।
शेयर बाजार पर असर
मुहर्रम के दिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) दोनों बंद रहेंगे। इसकी वजह से इक्विटी, डेरिवेटिव्स, SLB, करेंसी और ब्याज दर डेरिवेटिव्स जैसे सभी व्यापारिक सेगमेंट पर असर पड़ेगा। इस दिन ट्रेडिंग पूरी तरह स्थगित रहेगी, जिसका असर छोटे-बड़े निवेशकों तक देखा जा सकता है।
मुहर्रम का धार्मिक महत्व
मुहर्रम इस्लाम धर्म में चार पवित्र महीनों में शामिल है और नए हिजरी वर्ष की शुरुआत भी इसी महीने से होती है। मुहर्रम के 10वें दिन को ‘आशूरा’ कहा जाता है, जिसे विशेषकर शिया मुस्लिम समुदाय गहरे शोक के रूप में मनाता है। इस दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की कर्बला के युद्ध में शहादत को याद किया जाता है, जिनकी 680 ईस्वी में शहीदी हुई थी।
चाँद दिखने का महत्व
क्योंकि इस्लामी महीनों की शुरुआत चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है, इसलिए मुहर्रम की तारीख तय करने के लिए चाँद का दिखना बेहद जरूरी होता है। अगर 5 जुलाई को चाँद दिख जाएगा, तो छुट्टी 6 जुलाई को मनाई जाएगी, वरना यह 7 जुलाई तक टल सकती है। यही वजह है कि हर साल इसकी तारीख में बदलाव आता रहता है।
परिवहन और बाजारों पर असर
कई राज्यों में मुहर्रम के अवसर पर जुलूस और धार्मिक सभाओं के कारण ट्रैफिक रूट में बदलाव किए जाते हैं। इसके अलावा बाजारों में भी गतिविधियां धीमी पड़ जाती हैं, खासकर उन इलाकों में जहां बड़ी संख्या में लोग मुहर्रम की रस्मों में शामिल होते हैं। स्थानीय प्रशासन आम जनता से अपील करता है कि वे इस दौरान वैकल्पिक मार्गों का इस्तेमाल करें और अनावश्यक भीड़ से बचें।
बच्चों के लिए सकारात्मक उपयोग
अवकाश का समय केवल आराम के लिए न होकर, रचनात्मकता के विकास का भी अवसर होता है। अभिभावक चाहें तो बच्चों को कला, संगीत, किताबों या खेलों में व्यस्त रख सकते हैं। इससे उनकी एकाग्रता बनी रहेगी और छुट्टी के बाद वे दोबारा पढ़ाई में सहजता से जुड़ पाएंगे।

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