Delhi School Fee Bill: राजधानी दिल्ली के अभिभावकों के लिए राहत की बड़ी खबर आई है। निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से की जा रही फीस बढ़ोतरी पर अब सरकार ने सख्त कदम उठाया है। दिल्ली सरकार ने ‘स्कूल शिक्षा पारदर्शिता एवं फीस निर्धारण विनियमन विधेयक 2025’ को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। बिल सीधे तौर पर दिल्ली के 1677 सभी मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों पर लागू होगा
क्यों पड़ी जरूरत इस बिल की?
शिक्षा मंत्री सूद ने बताया कि लगातार आ रही शिकायतों को देखते हुए सरकार को महसूस हुआ कि केवल कारण बताओ नोटिस भेजना काफी नहीं है। ये कदम अस्थायी होते हैं और स्कूलों पर कोई खास असर नहीं डालते। इसलिए सरकार ने एक स्थायी समाधान के रूप में यह विधेयक पेश किया है, जो फीस निर्धारण की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा और मनमानी पर रोक लगाएगा।
शुरुआती 65 दिनों में बड़ा कदम
दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने इस बिल को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह कदम सरकार के पहले 65 दिनों में उठाया गया है, जिससे साफ है कि सरकार बच्चों की शिक्षा और अभिभावकों की समस्याओं को प्राथमिकता दे रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार को लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि निजी स्कूल फीस के नाम पर शोषण कर रहे हैं। जवाब में जिलाधिकारियों को निरीक्षण के लिए स्कूलों में भेजा गया और उसके बाद एक व्यापक ऑडिट कराया गया।
अब कोई स्कूल नहीं बढ़ा सकेगा मनमानी फीस
अब तक कई निजी स्कूल, खासतौर से वे जो आंशिक रूप से सरकार से सहायता प्राप्त हैं, अपनी मर्जी से फीस बढ़ाते आ रहे थे। यहां तक कि पूर्णत: निजी स्कूलों को भी कोई रोक-टोक नहीं थी। लेकिन अब नए कानून के तहत कोई भी स्कूल—चाहे वह सहायता प्राप्त हो या पूरी तरह निजी—फीस बढ़ाने से पहले नियमों का पालन करना होगा। स्कूलों को एक कमेटी बनानी होगी जिसमें अभिभावकों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, और उनके सुझावों के आधार पर ही फीस में बदलाव संभव हो सकेगा।
क्या हैं विधेयक की मुख्य विशेषताएं?
- तीन साल तक फीस वृद्धि पर रोक: अगर कोई स्कूल इस विधेयक के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और मनमाने ढंग से फीस बढ़ाता है, तो उसे अगले तीन वर्षों तक फीस में कोई बदलाव करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- पारदर्शिता सुनिश्चित: हर स्कूल को नवंबर तक आगामी शैक्षणिक सत्र की फीस का खुलासा करना होगा, ताकि अभिभावक समय रहते आपत्ति जता सकें।
- कमेटी का गठन अनिवार्य: फीस निर्धारण के लिए स्कूलों को एक कमेटी बनानी होगी। ऐसा न करने पर 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और गंभीर मामलों में स्कूल पर शख्त कार्यवाही के तहत मान्यता रद्द की जा सकती है।
- शिक्षा निदेशालय को मिले विशेष अधिकार: अब शिक्षा निदेशालय को स्कूल के खाते और दस्तावेज स्वतः जब्त करने का अधिकार मिल जाएगा।
बच्चों के साथ दुर्व्यवहार पर कड़ा जुर्माना
अगर कोई स्कूल बच्चों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर किताबें न देने, लाइब्रेरी में भेजने या अन्य मानसिक प्रताड़ना देने जैसे कदम उठाता है, तो उसे प्रति बच्चा प्रति दिन 50,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। 20 दिनों के बाद यह जुर्माना दोगुना और 40 दिनों के बाद तीन गुना हो जाएगा। यदि स्कूल फिर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
अभिभावकों की शिकायतों से बनी सख्त नीति
शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह बिल सिर्फ एक कागजी औपचारिकता नहीं है, बल्कि अभिभावकों की शिकायतों पर गंभीरता से काम करते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले की सरकारों ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया, लेकिन वर्तमान सरकार ने न केवल समस्या को पहचाना, बल्कि उसका समाधान भी पेश किया।