अब नहीं होगा लोन सेटलमेंट, RBI की नई गाइडलाइन्स जारी Loan Settlement

Loan Settlement: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से बड़े कर्ज लेकर उसे न चुकाने वाले कर्जदारों पर शिकंजा कसने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां कर्जदारों के साथ किसी भी तरह का समझौता करने से पहले बकाया वसूली के सभी तरीके को आजमाना होगा।

क्या हैं आरबीआई के नए नियम

24 अप्रैल, 2024 को आरबीआई द्वारा जारी किए गए ‘मुख्य दिशानिर्देश भारतीय रिजर्व बैंक (संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी) दिशानिर्देश, 2024’ को अब संशोधित कर दिया गया है। नए दिशा-निर्देशों के तहत, हर एआरसी को लोन सेटलमेंट से पहले अपने निदेशक मंडल से अप्रूवल लेना होगा। इसके बिना लोन से संबंधित कोई भी समझौता नहीं किया जा सकेगा।

पहले से तय होगी कट-ऑफ तिथि

आरबीआई ने संशोधित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि सेटलमेंट प्रोसेस में “कट-ऑफ” डेट पहले से तय होनी चाहिए। इसके अलावा, सेटलमेंट अमाउंट तय करते समय सारी जोखिम श्रेणियों के लिए स्वीकार्य नुकसान, गारंटी वाले प्रोडक्ट की सही कीमत तय करने की प्रक्रिया और अन्य पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा।

राशि का भुगतान एकसाथ करना अनिवार्य

संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुसार, कर्जदारों के साथ समझौता तभी किया जाएगा जब बकाया वसूली के सभी अन्य विकल्प विफल हो जाएं। इसके अलावा, सेटलमेंट को तभी स्वीकार किया जाएगा जब वह सभी उपलब्ध विकल्पों में से सबसे बेहतर हो। समझौते में तय की गई राशि का भुगतान एकमुश्त करना अनिवार्य होगा। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो प्रस्ताव कर्जदार की आय और नकदी प्रवाह (cash flow) के आधार पर तय किया जाएगा।

1 करोड़ से अधिक के मामलों पर फोकस

आरबीआई का यह फैसला उन कर्जदारों के लिए कड़ा संदेश है, जो मोटे कर्ज लेकर उसे चुकाने में कोताही बरतते हैं। नए नियम उन मामलों पर लागू होंगे, जहां कर्जदार का कुल बकाया एक करोड़ रुपये या उससे अधिक है। हालांकि, एक करोड़ रुपये से कम के मामलों में भी यह दिशा-निर्देश लागू हो सकते हैं।

न्यायिक प्रक्रिया का पालन जरूरी

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि यदि एआरसी (Asset Reconstruction Companie) ने किसी कर्जदार के खिलाफ न्यायिक मंच पर मामला दायर किया है, तो कर्जदार के साथ किया गया समझौता तभी मान्य होगा, जब संबंधित न्यायिक मंच की सहमति प्राप्त हो।

RBI के फैसले से बैंकिंग प्रणाली में आएगा बड़ा बदलाव

इन सख्त दिशा-निर्देशों का मकसद बैंकों और कर्जदारों के बीच अनुशासन बनाए रखना और बकाया राशि की वसूली प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना है। यह कदम भारतीय बैंकिंग प्रणाली को अधिक मजबूत और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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