School Holiday: श्रावण और भाद्रपद माह के दौरान उज्जैन में होने वाली भगवान महाकालेश्वर की सवारी को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्कूलों की साप्ताहिक छुट्टियों में बड़ा बदलाव किया है। अब शहर के सभी स्कूलों में हर सोमवार को अवकाश रहेगा, जबकि रविवार को स्कूल खोले जाएंगे। यह निर्णय धार्मिक आयोजन के दौरान शहर की भीड़भाड़ और ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
रविवार को लगेंगे क्लास और सोमवार को होगी छुट्टी
उज्जैन कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने सोमवार को आदेश जारी करते हुए जानकारी दी कि नगर निगम क्षेत्र में आने वाले सभी सरकारी और निजी स्कूल 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त और 11 अगस्त 2025 को सोमवार के दिन बंद रहेंगे। इसके बदले में 13 जुलाई, 20 जुलाई, 27 जुलाई, 3 अगस्त और 10 अगस्त यानी रविवार को विद्यालय संचालित किए जाएंगे।
सभी स्कूलों को भेजे गए निर्देश
इस फैसले के तहत जिला प्रशासन ने नगर निगम क्षेत्र के सभी शासकीय और अशासकीय विद्यालयों को दिशा-निर्देश भेज दिए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग भी जल्द ही इसे लेकर अलग से आदेश जारी करेगा। कलेक्टर ने बताया कि यह बदलाव सिर्फ उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में ही लागू होगा। जानकारी के लिए बता डी3न,यह कोई पहली बार नहीं है, पिछले वर्ष भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की गई थी।
महाकाल सवारी के चलते बदलनी पड़ी टाइमिंग
श्रावण और भाद्रपद के महीनों में उज्जैन में भगवान महाकाल की भव्य सवारी निकाली जाती है। इस बार ये सवारी क्रमशः 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त और 11 अगस्त को निकलेगी। इन तारीखों को शहर की सड़कों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे में स्कूलों को बंद रखना जरूरी समझा गया ताकि बच्चों और अभिभावकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था में मदद
प्रशासन के इस फैसले का मकसद सिर्फ धार्मिक आयोजन को सफल बनाना नहीं, बल्कि शहर की यातायात व्यवस्था, सुरक्षा और अनुशासन को बनाए रखना भी है। जब सवारी निकलती है तो हजारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं, और कई प्रमुख मार्गों पर यातायात रोकना पड़ता है। ऐसे में स्कूली बच्चों की आवाजाही में दिक्कत आ सकती है, जिसे ध्यान में रखकर यह बदलाव किया गया है।
आस्था, परंपरा और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है महाकाल सवारी
कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने कहा कि महाकाल सवारी उज्जैन की धार्मिक भावना, परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि शहर की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी मजबूती देने वाला आयोजन है। सवारी में हर सोमवार लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिससे पूरे शहर की गतिविधियों पर असर पड़ता है।
महाकाल की सवारी का बहुआयामी महत्व
- धार्मिक पक्ष: महाकालेश्वर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। हर साल श्रावण और भाद्रपद के सोमवार को भगवान महाकाल नगर भ्रमण के लिए सवारी के रूप में निकलते हैं।
- सामाजिक महत्व: महाकाल सवारी में हर वर्ग, जाति और धर्म के लोग शामिल होते हैं। यह आयोजन सामाजिक सौहार्द और एकता का प्रतीक बन चुका है।
- सांस्कृतिक पहचान: महाकाल की सवारी में नगाड़े, ढोल, झांझ, भजन मंडलियां, रथ, शाही लवाजमा आदि शामिल होते हैं जो उज्जैन की परंपराओं और संस्कृति को जीवंत बनाते हैं।
- आर्थिक पहलू: सवारी के दौरान लाखों श्रद्धालु उज्जैन आते हैं जिससे होटल, रेस्टोरेंट, फूल-विक्रेता, पूजन सामग्री, परिवहन, दुकानदारों और अन्य सेवाओं को सीधा फायदा होता है।
संक्षेप में कहें तो… उज्जैन में महाकाल सवारी सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, एकता, परंपरा और अर्थव्यवस्था का संगम है। प्रशासन द्वारा स्कूलों की छुट्टियों में बदलाव एक स्वागत योग्य कदम है, जिससे धार्मिक भावना के साथ-साथ जनसुविधा और सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखा गया है।

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