School Holiday: सावन का पावन महीना शुरू होने ही वाला है और देशभर में इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इस बीच मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले से एक अहम खबर सामने आई है। जिले के जिला प्रशासन ने ऐलान किया है कि सावन के सभी सोमवारों को जिले के सरकारी और निजी स्कूलों में अवकाश रहेगा। यह फैसला धार्मिक भावनाओं और जनता की आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
क्यों लिया गया छुट्टी का फैसला?
उज्जैन के जिला कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सावन महीने के सोमवार को शहर के सभी स्कूलों में अवकाश रहेगा। यह फैसला स्थानीय धार्मिक भावना, महाकाल की विशेषता और शिवभक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सावन भगवान शिव का प्रिय महीना होता है, और विशेष रूप से सोमवार को श्रद्धालु मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
कब से कब तक रहेगा सावन, कितने सोमवार पड़ेंगे?
इस बार सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस दौरान कुल चार सोमवार पड़ेंगे, जिनमें पहला सोमवार 14 जुलाई को आएगा। हर सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ रहती है और उज्जैन में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है।
महादेव की नगरी में बढ़ेगी धार्मिक गतिविधियां
उज्जैन, जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के कारण विशेष धार्मिक महत्व रखता है, वहां सावन में लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में सोमवार की छुट्टियां श्रद्धालुओं और स्थानीय भक्तों के लिए बड़ा राहत का विषय बन सकती हैं। इस दौरान लोग परिवार सहित मंदिरों में दर्शन कर सकेंगे।
कांग्रेस ने उठाए सवाल, भाजपा का पलटवार
जिला प्रशासन के इस फैसले को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता आरिफ मसूद ने इस आदेश को संविधान के खिलाफ और पक्षपातपूर्ण करार दिया है। वहीं भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस की आलोचना पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की सोच हमेशा तुष्टिकरण की रही है।
क्या यह फैसला शिक्षा पर डालेगा असर?
स्कूलों में चार सोमवार की छुट्टियों का असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ सकता है। सावन का महीना वैसे भी मानसून से प्रभावित होता है, जिससे स्कूलों में उपस्थिति कम हो जाती है। हालांकि स्कूल प्रबंधन शनिवार या अन्य कार्यदिवसों पर अतिरिक्त कक्षाएं लेकर इसकी भरपाई कर सकते हैं।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
सावन में उज्जैन का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है। महाकाल मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। स्कूलों की छुट्टी के चलते अब ज्यादा परिवार अपने बच्चों के साथ दर्शन के लिए आ सकेंगे। इससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों और दुकानदारों को आर्थिक लाभ हो सकता है।
धर्म और प्रशासन के फैसलों पर राजनीति हावी
इस पूरे मामले से एक बात साफ हो गई है कि अब धार्मिक आयोजनों से जुड़े फैसले भी राजनीतिक बहस का मुद्दा बनते जा रहे हैं। उज्जैन जैसे धार्मिक शहर में जहां भगवान महाकाल की भक्ति सर्वोपरि मानी जाती है, वहां इस तरह के निर्णयों पर सवाल उठना यह दर्शाता है कि अब धर्म और राजनीति के बीच की रेखा धीरे-धीरे धुंधली हो रही है।
श्रद्धा बनाम संविधान
सावन के सोमवार को छुट्टियां घोषित करना उज्जैन जैसे धार्मिक शहर में आस्था के अनुरूप कदम जरूर है, लेकिन इसे लेकर उठ रही राजनीतिक बयानबाजी यह संकेत देती है कि अब ऐसे निर्णयों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। धार्मिक भावनाओं का सम्मान जरूरी है, लेकिन शिक्षा और संविधान के संतुलन को भी बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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